स्कूलों में आज से प्रार्थना सभा में गीता पाठ अनिवार्य

स्कूलों में आज से प्रार्थना सभा में गीता पाठ अनिवार्य: विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नैतिक मूल्य सिखाने का प्रयास

 

मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने लागू की नई व्यवस्था, प्रार्थना सभा में गीता पाठ से बच्चों में अनुशासन, संस्कृति और आस्था का विकास होगा

 देहरादून।  उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  को अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय को शिक्षा और संस्कृति के समन्वय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

 

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर लागू की गई इस व्यवस्था का उद्देश्य छात्रों को धार्मिक ग्रंथों की गूढ़ बातों से अवगत कराते हुए उनमें नैतिकता, शालीनता, अनुशासन और संस्कारों का विकास करना है।  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  अब हर स्कूल की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा होगा।

 

क्या होगा अब प्रार्थना सभा में?

शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब सभी स्कूलों में हर दिन की शुरुआत  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  से होगी। इसके अंतर्गत:

 

  • श्रीमद्भगवद गीता के चुनिंदा श्लोकों का उच्चारण
  • श्लोकों का हिंदी में भावार्थ
  • बच्चों से चर्चा एवं संवाद
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से श्लोकों की व्याख्या

 

इन गतिविधियों का समन्वय विद्यालय के शिक्षक व प्रधानाचार्य करेंगे। इसमें धार्मिकता थोपने का कोई उद्देश्य नहीं है, बल्कि बच्चों में आंतरिक विकास, आत्मबल और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देना है।

 

क्यों ज़रूरी है प्रार्थना सभा में गीता पाठ?

 

1.  नैतिक मूल्यों का विकास

 

गीता के श्लोकों में जीवन का सार छिपा है। बाल्यावस्था में जब बच्चे गीता के श्लोकों को सुनते हैं, तो उनके भीतर सत्य, धर्म, कर्तव्य और परिश्रम की भावना विकसित होती है।

 

2.  मानसिक स्थिरता और अनुशासन

 

प्रार्थना सभा में गीता पाठ  के माध्यम से विद्यार्थियों में एकाग्रता, अनुशासन और आत्मनियंत्रण की क्षमता बढ़ती है। इससे परीक्षा और जीवन की अन्य चुनौतियों में वे संतुलित व्यवहार करते हैं।

 

3.  भारतीय संस्कृति से जुड़ाव

 

गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय दर्शन का मूल है। छात्रों को इसका परिचय देना उन्हें भारतीयता से जोड़ने का माध्यम बनता है।

 

कैसे होगा श्लोकों का चयन?

शिक्षा विभाग ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है, जो गीता से उन श्लोकों का चयन करेगी जो:

 

  • सभी धर्मों के विद्यार्थियों के लिए प्रेरक हों
  • जीवन मूल्यों को सरल भाषा में समझाएं
  • वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण से जुड़े हों

 

प्रार्थना सभा में गीता पाठ  में शामिल श्लोकों की सूची समय-समय पर सभी विद्यालयों को भेजी जाएगी।

 

विरोध और समर्थन: क्या कहते हैं शिक्षक और अभिभावक?

 

समर्थन में तर्क

अधिकतर शिक्षकों और अभिभावकों ने सरकार के इस निर्णय की सराहना की है। उनका मानना है कि—

 

“बच्चों को डिजिटल युग में नैतिकता और संस्कार सिखाना कठिन होता जा रहा है। ऐसे में  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  उन्हें आत्मिक बल देने वाला साबित होगा।”

 

विरोध की आशंका

कुछ संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि क्या यह व्यवस्था सभी धर्मों के छात्रों के लिए उचित है?

 

सरकार ने इस पर स्पष्ट किया है कि गीता पाठ अनिवार्य जरूर है, लेकिन इसका उद्देश्य किसी धर्म का प्रचार नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का विकास है। साथ ही, छात्रों पर किसी तरह का जबरदस्ती नहीं होगी।

 

कैसे होगी शिक्षकों की ट्रेनिंग?

सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिलों में शिक्षकों के लिए विशेष  गीता पाठ प्रशिक्षण कार्यक्रम  आयोजित करें। इसमें—

 

  • गीता के प्रमुख श्लोकों की व्याख्या
  • विद्यार्थियों को रोचक तरीकों से सिखाने की तकनीक
  • श्लोकों का वैज्ञानिक और तर्कसंगत विश्लेषण

 

इन प्रशिक्षण सत्रों के ज़रिये  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  को हर स्कूल में प्रभावशाली बनाया जाएगा।

 

श्रीमद्भगवद गीता और आधुनिक शिक्षा

आज की शिक्षा प्रणाली केवल अंक, परीक्षा और करियर पर केंद्रित हो गई है। लेकिन असल जीवन के लिए मानसिक संतुलन, सहिष्णुता, अनुशासन और नेतृत्व जैसे गुण ज़रूरी होते हैं, जिन्हें गीता सिखाती है।

प्रार्थना सभा में गीता पाठ  छात्रों को उन शिक्षाओं से जोड़ता है जो उन्हें आत्मविश्वासी और चरित्रवान बनाती हैं।

 

राज्य पाठ्यक्रम परिषद भी करेगी समावेश

राज्य पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन समिति के सचिव ने बताया कि आने वाले वर्षों में गीता के श्लोकों को एक वैकल्पिक विषय के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है। यह विषय कक्षा 6 से 10 तक के लिए हो सकता है, जिसमें:

 

  • गीता के श्लोक
  • कथाएं और उदाहरण
  • जीवन प्रबंधन शिक्षा

प्रार्थना सभा में गीता पाठ  के समानांतर यह एक एकेडमिक पहल होगी।

 

देशभर में यह पहला प्रयास नहीं

गुजरात सरकार  पहले ही गीता श्लोकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर चुकी है।

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश  में भी  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  की शुरुआत हो चुकी है।

अब उत्तराखंड भी इस प्रयास से जुड़ गया है।

 

शिक्षा विभाग की कार्य योजना

 

शिक्षा सचिव की ओर से जारी एक परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि:

  • प्रार्थना सभा में गीता पाठ 15 जुलाई से सभी स्कूलों में लागू होगा
  • हर महीने प्रगति रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपी जाएगी
  • छात्रों से संवाद कार्यक्रम और श्लोक प्रतियोगिता का आयोजन होगा
  • प्रार्थना सभा का समय 15 मिनट बढ़ाया जाएगा

 

विद्यार्थियों का क्या कहना है?

कुछ छात्रों ने कहा:

“गीता पाठ सुनकर मन शांत होता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है।”

“पहले हमें श्लोक समझ में नहीं आते थे, लेकिन अब शिक्षक उनका मतलब समझाते हैं जिससे हम प्रभावित होते हैं।

 

निष्कर्ष

प्रार्थना सभा में गीता पाठ  केवल धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से बच्चों को सशक्त करने का प्रयास है। उत्तराखंड सरकार का यह कदम बच्चों में आत्मबल, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों को विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा।

 

शिक्षा सिर्फ अंक लाने की दौड़ नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम भी होनी चाहिए—और  प्रार्थना सभा में गीता पाठ  इसी दिशा में एक प्रेरणादायक शुरुआत है।

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