मिड डे मील में घोटाला: उपनलकर्मियों ने किया 3 करोड़ का फर्जीवाड़ा | जानिए पूरा मामला

मिड डे मील में घोटाला: देहरादून में 3 करोड़ रुपये की हेराफेरी, उपनल कर्मियों पर मुकदमा दर्ज की तैयारी

देहरादून मिड डे मील में घोटाला समाचार की कटिंग – 3 करोड़ की हेराफेरी

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला सामने आया है। यह घोटाला राज्य के शिक्षा विभाग के अंतर्गत चलने वाले मिड डे मील योजना से जुड़ा है। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि इस योजना में काम कर रहे उपनल (UPNL) कर्मचारियों ने करीब तीन करोड़ रुपये की राशि फर्जी तरीके से अपने और अपने परिजनों के खातों में ट्रांसफर कर दी। मामले का खुलासा होते ही विभाग में हड़कंप मच गया है और संबंधित अधिकारियों पर FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

मिड डे मील योजना का उद्देश्य

मिड डे मील योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को निःशुल्क पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। इसका मकसद बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना, पोषण स्तर सुधारना और शिक्षा को प्रोत्साहित करना है।

घोटाले का तरीका और फर्जीवाड़े की रणनीति

शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि मिड डे मील योजना में नियुक्त उपनल कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भोजन सामग्री की खरीदी और वितरण की फर्जी रसीदें तैयार कीं। इसके बाद योजनागत धनराशि को अपने तथा रिश्तेदारों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा दिया गया। यह गतिविधि लगभग दो वर्षों से जारी थी और किसी को शक नहीं हुआ।

इस दौरान विभागीय जांच अधिकारीयों को सूचना मिली कि कुछ कर्मियों के बैंक खातों में लगातार बड़ी धनराशि ट्रांसफर हो रही है। जब इन खातों की जांच की गई तो पाया गया कि इन खातों के धारक वे लोग हैं जो इस योजना से किसी भी रूप में संबंधित नहीं हैं। यहीं से मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं।

किन अधिकारियों की संलिप्तता मानी जा रही है?

सूत्रों के अनुसार इस घोटाले में शामिल उपनल कर्मियों की संख्या पांच से अधिक हो सकती है। इनमें से कई कर्मचारी विभाग में खरीद और लेखा सेक्शन से जुड़े हुए थे। इन कर्मचारियों ने मिलीभगत कर फर्जी भुगतान आदेश जारी किए और सरकारी धन की बंदरबांट की। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकारा है कि घोटाले में कई स्तर के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।

कानूनी कार्रवाई और एफआईआर की तैयारी

शिक्षा विभाग ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेज दी है। साथ ही, संबंधित कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शासन के निर्देश पर अब यह मामला वित्तीय अपराध शाखा (Economic Offense Wing – EOW) को सौंपा जा सकता है। जांच के दौरान घोटाले से जुड़े सभी बैंक खातों को सील करने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है।

प्रशासनिक लापरवाही बनी घोटाले की वजह

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विभाग समय रहते ऑडिट और फाइनेंशियल ट्रैकिंग को सख्ती से लागू करता, तो यह घोटाला इतने लंबे समय तक नहीं चलता। मिड डे मील जैसी योजनाओं में जहां करोड़ों रुपये का सालाना बजट होता है, वहां वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है।

जनता की प्रतिक्रिया और शिक्षा विभाग की छवि पर असर

मिड डे मील में घोटाला सामने आने के बाद जनता में आक्रोश फैल गया है। माता-पिता और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बच्चों की योजना में भ्रष्टाचार बेहद शर्मनाक है।

यह घटना शिक्षा विभाग की छवि पर गहरा असर डालेगी, खासकर उस समय जब राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने की दिशा में काम कर रही है।

कब से चला रहा था घोटाला?

घोटाला पिछले दो वर्षों से किया जा रहा था। इसकी भनक अब जाकर लगी है जब उच्च अधिकारियों ने नियमित ऑडिट प्रक्रिया के तहत ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड को खंगाला।

दूसरी खबर: खसरा और रूबेला उन्मूलन के लिए 21 जुलाई से अभियान

इसी अखबार में प्रकाशित एक अन्य खबर के अनुसार, देहरादून जिले में खसरा और रूबेला उन्मूलन अभियान 21 जुलाई से शुरू होगा। यह अभियान 2026 तक खसरा को जड़ से खत्म करने के राष्ट्रीय लक्ष्य का हिस्सा है। अभियान के तहत 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आंगनबाड़ी व अन्य संस्थाएं मिलकर इस कार्य को सफल बनाएंगी।

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