चार साल की स्नातक की पढ़ाई: 2025 से लागू होगा नया नियम
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने जारी किया नया पाठ्यक्रम, बीए-बीएससी और बीकॉम की पढ़ाई होगी चार साल की
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव आने वाला है। 2025 से गढ़वाल विश्वविद्यालय समेत देश के कई विश्वविद्यालयों में चार साल की स्नातक की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया जाएगा। इस नए फैसले के तहत अब बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे पारंपरिक कोर्स तीन साल के बजाय चार साल के होंगे।
क्यों बढ़ाई गई स्नातक की पढ़ाई चार साल की?
चार साल की स्नातक की पढ़ाई को लागू करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विषय में अधिक गहराई से ज्ञान देना और शोध कार्य के लिए तैयार करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत यह बदलाव किया जा रहा है ताकि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुसार ढाला जा सके।
बदलाव क्या होंगे?
- पहले जहां बीए, बीएससी और बीकॉम के कोर्स तीन साल में पूरे हो जाते थे, अब ये चार साल में पूरे होंगे।
- पाठ्यक्रम में नई विषयवस्तु, इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट और शोध कार्य शामिल होंगे।
- चौथे वर्ष में छात्र अपनी पसंद के विषय में रिसर्च कर सकेंगे।
- चार साल की स्नातक की पढ़ाई छात्रों को पीजी के लिए और बेहतर बनाएगी।
विश्वविद्यालयों में तैयारियां
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने पहले ही नया सिलेबस वेबसाइट https://hnbgucu.ac.in पर अपलोड कर दिया है। चार साल की स्नातक की पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम संरचना में बदलाव किए गए हैं और शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
आवेदन और रजिस्ट्रेशन की तिथि
छात्रों को राहत देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है। जो छात्र अब तक आवेदन नहीं कर सके थे, उन्हें यह अवसर मिला है कि वे नया कोर्स चुनकर चार साल की स्नातक की पढ़ाई में दाखिला ले सकें।
पाठ्यक्रम में नया क्या होगा?
- CBCS सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।
- स्किल बेस्ड शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
- छात्र क्रेडिट के आधार पर कोर्स पूरा कर सकेंगे।
- चार साल की स्नातक की पढ़ाई में मल्टी-एंट्री और मल्टी-एग्जिट सिस्टम होगा।
छात्रों की राय
कई छात्रों ने इस बदलाव को सकारात्मक बताया है। उनका मानना है कि चार साल की स्नातक की पढ़ाई उन्हें रिसर्च और नौकरी दोनों के लिए तैयार करेगी। हालांकि कुछ छात्रों ने कोर्स की अवधि बढ़ने को लेकर चिंता भी जाहिर की है, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों ने।
लाभ क्या हैं?
- रिसर्च की सुविधा: अंतिम वर्ष में प्रोजेक्ट व रिसर्च कार्य
- पीजी के लिए तैयारी: बेहतर बेसिक कॉन्सेप्ट
- इंटरनेशनल लेवल की पढ़ाई: ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार कोर्स डिजाइन
- जॉब रेडी स्किल्स: स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप के जरिए रोज़गार की संभावना
चुनौतियां भी हैं…
- ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए खर्च बढ़ेगा।
- विश्वविद्यालयों को नई व्यवस्था के लिए संसाधन जुटाने होंगे।
- शिक्षकों को अपडेटेड सिलेबस पर ट्रेनिंग देना जरूरी है।
शिक्षक और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
शिक्षकों का मानना है कि चार साल की स्नातक की पढ़ाई छात्रों को एक मजबूत एकेडमिक आधार देगी। वहीं, अभिभावक चिंतित हैं कि इससे पढ़ाई का खर्च भी बढ़ेगा और नौकरी पाने में देरी हो सकती है।
नीति के पीछे सरकार का तर्क
NEP 2020 के अनुसार, भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। चार साल की स्नातक की पढ़ाई इस दिशा में एक ठोस कदम है जो भविष्य के लिए छात्रों को आत्मनिर्भर बनाएगा।
निष्कर्ष
गढ़वाल विश्वविद्यालय समेत देशभर के विश्वविद्यालयों में चार साल की स्नातक की पढ़ाई को लागू करना एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगे। हालांकि चुनौतियां भी हैं, परंतु अगर सही ढंग से लागू किया गया तो यह बदलाव भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।