Uttarakhand News: अब खुले नालों पर लगेगा ताला, शासन ने सख्त निर्देश जारी किए
देहरादून/उत्तराखंड:
राज्यभर में लगातार हो रहे हादसों और नागरिकों की जान को खतरे में डालने वाले खुले नालों और टूटी सड़कों की घटनाओं पर अब उत्तराखंड शासन ने सख्त रुख अपनाया है। शासन ने सभी जिलाधिकारियों, नगर निगमों और पंचायत प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि आगामी दिनों में किसी भी प्रकार का खुला नाला अथवा असुरक्षित सड़क ढांचा पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हादसों ने सरकार को झकझोरा
हाल के महीनों में देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, ऋषिकेश, टिहरी और अल्मोड़ा जैसे शहरों में खुले नालों के कारण:
- कई मोटरसाइकिल सवार गिरकर घायल हुए
- बारिश के दौरान बच्चे बह गए
- बुजुर्ग नालों में फंसकर चोटिल हुए
इन घटनाओं के बाद शासन और नगर निगमों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए।
शासन का नया फरमान
उत्तराखंड शासन ने एक विशेष बैठक के बाद नया आदेश जारी किया, जिसमें बताया गया:
- सभी खुले नालों को ढक्कन या जाली से ढकना अनिवार्य होगा
- निर्माण कार्यों के लिए तय मानक प्रक्रिया का पालन ज़रूरी होगा
- सड़क किनारे अस्थायी अवरोधक लगाना आवश्यक होगा
- नाले के आसपास चेतावनी बोर्ड लगाना अनिवार्य
यह आदेश लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान, नगर निगम, पंचायतों और शहरी विकास विभाग को दिया गया है।
फोटो सबूतों ने बढ़ाई सख्ती
देहरादून में एक दैनिक अखबार द्वारा छापे गए फोटो-फीचर ने शासन को झकझोर कर रख दिया। इसमें यह दिखाया गया कि:
- कूड़ा खुले नालों में गिराया जा रहा है
- ढक्कन न होने के कारण जानवर व इंसान दोनों को खतरा
- लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर आते-जाते हैं
इसके बाद मुख्य सचिव स्तर पर मीटिंग हुई और तत्काल निर्देश जारी किए गए।
नगर निगमों की लापरवाही उजागर
पिछले 2 वर्षों में देहरादून नगर निगम को 12 करोड़ रुपए खुले नालों की मरम्मत और कवरिंग के लिए मिले, लेकिन:
- सिर्फ 38% बजट उपयोग हुआ
- ज़्यादातर काम फाइलों में अटका रहा
- 40 से अधिक वार्ड ऐसे हैं जहां अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई
खुले नालों पर नया निर्माण नियम
शासन ने अब सभी विभागों को नए नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है:
- हर नाले की चौड़ाई, गहराई और स्थान की मैपिंग
- निर्माण से पहले स्थानीय निकाय से स्वीकृति
- नागरिकों की सूचना मिलने पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई
- नालों की Geo-Tagging अनिवार्य
जिम्मेदारों पर कार्रवाई
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से कहा:
“अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर किसी भी हादसे में खुले नाले की पुष्टि हुई तो संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही होगी।”
इसके साथ ही ज़िलाधिकारियों को मॉनिटरिंग टास्क सौंपा गया है।
आंकड़ों में खतरे की तस्वीर
शहर | खुले नाले | हादसे | मरम्मत स्थिति |
देहरादून | 143 | 28 | 36% |
हरिद्वार | 89 | 12 | 45% |
हल्द्वानी | 97 | 16 | 42% |
ऋषिकेश | 65 | 11 | 50% |
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जनता की आवाज़
स्थानीय निवासी संजय उनियाल ने बताया:
“नाले खुले हैं, रात को रोशनी नहीं होती, बच्चे गिर जाते हैं। बार-बार शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।”
रीता देवी, एक गृहिणी ने कहा:
“बरसात में पानी सड़कों पर आ जाता है, नाले कवर नहीं होने से बदबू और मच्छर दोनों फैलते हैं।”
समाधान की राह
विशेषज्ञों के अनुसार प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- स्थायी कवरिंग सिस्टम विकसित किया जाए
- हर 3 महीने में नाला सफाई अभियान चले
- सामुदायिक निगरानी समितियाँ बनाई जाएं
- कंस्ट्रक्शन के समय ही सेफ्टी प्लानिंग की जाए
मीडिया और सोशल मीडिया का असर
यह पूरा मुद्दा तभी सामने आया जब:
- अखबारों ने लगातार फोटोज़ प्रकाशित किए
- सोशल मीडिया पर लोगों ने वीडियो डाले
- यूट्यूब चैनलों और ब्लॉग्स ने इसे उठाया
जनता क्या कर सकती है?
- अपने क्षेत्र के खुले नाले की फोटो Geo-Tag के साथ भेजें
- नगर निगम के पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें
- जनप्रतिनिधियों को टैग करें
- मीडिया को सूचित करें
निष्कर्ष:
Uttarakhand News
के अंतर्गत यह मुद्दा केवल एक नागरिक सुविधा से जुड़ा नहीं है, यह सवाल है — जन-जीवन की सुरक्षा, प्रशासन की जवाबदेही और नागरिक सहभागिता का। शासन के नए निर्देशों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना समय की मांग है।
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