Uttarakhand News: देहरादून में 2 करोड़ का कर्ज नहीं लौटाने पर 441 लोगों को नोटिस, अब कुर्की की कार्रवाई

Uttarakhand News: देहरादून में 2 करोड़ का कर्ज नहीं लौटाने पर 441 लोगों को नोटिस, अब कुर्की की कार्रवाई

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देहरादून (Uttarakhand News):

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बड़ा वित्तीय खुलासा सामने आया है। जिले की 39 सहकारी समितियों से ऋण लेने वाले 441 लोगों ने अब तक अपनी देनदारी नहीं चुकाई है। इन सभी पर कुल मिलाकर लगभग 2 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित व्यक्तियों को आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) भेज दिए हैं और अब अगला कदम कुर्की की कार्रवाई होगी।

39 समितियों से ऋण लेकर नहीं लौटाई रकम

देहरादून जिले की विभिन्न सहकारी समितियों ने किसानों और आम नागरिकों को खेती, व्यवसाय और पशुपालन के लिए लोन दिए थे। लेकिन बीते वर्षों में इन लोन की अदायगी नहीं हो पाई है। सहकारी विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार:

  • कुल 441 लाभार्थी ऋण चुकाने में विफल रहे हैं
  • देनदारी की कुल राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक है
  • समितियों ने तीन नोटिस भेजने के बाद आरसी की प्रक्रिया शुरू की

यह मामला केवल आर्थिक लापरवाही नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं की विफलता और जागरूकता की कमी को भी दर्शाता है।

क्या है आरसी और कुर्की की प्रक्रिया?

आरसी यानी Recovery Certificate एक ऐसा सरकारी दस्तावेज़ होता है जो बकाया वसूली के लिए जारी किया जाता है। जब कोई व्यक्ति लोन या टैक्स आदि समय पर नहीं चुकाता तो सरकारी विभाग उसे नोटिस भेजता है, और फिर आरसी के ज़रिए तहसीलदार या ज़िला प्रशासन के माध्यम से उसकी संपत्ति या खाते कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू करता है।

समितियों की इस बार की वसूली दर 83% रही

सकारात्मक बात यह रही कि वर्ष 2024-25 में जिले की सभी सहकारी समितियों ने किसानों से लगभग 130 करोड़ रुपये में से 83% की वसूली की है, जो कि पिछली बार की तुलना में बेहतर है। लेकिन अभी भी ₹22 करोड़ का कर्ज बकाया है।

कानून की धारा 95लागू

वसूली के लिए अब कानून की धारा 95 लागू की गई है, जिसके तहत कर्ज न लौटाने वाले व्यक्तियों पर जबरन वसूली, संपत्ति कुर्की और अन्य कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर संबंधित लोग जल्द ही अपने बकाए का भुगतान नहीं करते हैं, तो:

  • चल-अचल संपत्ति को ज़ब्त किया जाएगा
  • बैंक खातों को सीज़ किया जा सकता है
  • नाम ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा

प्रशासन का बयान

डॉ. बीएस ममगाईं (सहायक निबंधक) ने बताया:

“हमने बार-बार नोटिस भेजे, लेकिन जब लोगों ने ऋण नहीं लौटाया तो धारा 95क के तहत आरसी जारी की गई है। अब वसूली का कार्य राजस्व विभाग के माध्यम से होगा।”

योजनाओं का उद्देश्य और विफलता

उत्तराखंड सरकार द्वारा किसानों और ग्रामीण लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये योजनाएं चलाई गई थीं:

  • किसान क्रेडिट कार्ड
  • मध्यमकालीन ऋण योजना
  • स्वरोज़गार योजना
  • पशुपालन सहायता ऋण योजना

लेकिन जानकारी की कमी, प्रशिक्षण न मिलना और समय पर पुनर्भुगतान न करना इन योजनाओं की विफलता का कारण बन रहा है।

जनता की प्रतिक्रिया

कुछ लाभार्थियों ने बताया कि:

“लोन तो लिया था, लेकिन पिछले दो साल से फसल खराब हो रही है। बैंक और समितियां समय नहीं देतीं।”

दूसरी ओर समितियों का कहना है कि बार-बार समझाने और अवसर देने के बावजूद पैसा नहीं लौटाया गया।

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क्या हैं इसके सामाजिक और कानूनी प्रभाव?

  • किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब होगी
  • अगली बार लोन मिलना मुश्किल होगा
  • सरकारी योजनाओं पर भरोसा घटेगा
  • प्रशासन को सख्त छवि दिखानी पड़ेगी

समाधान क्या है?

  • लाभार्थियों को पुनर्गठन योजना की सुविधा मिलनी चाहिए
  • समितियों को ऋण माफी पर नहीं, वसूली पर ज़ोर देना चाहिए
  • पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इसमें भागीदारी करनी चाहिए
  • मीडिया को नियमित रूप से इस पर रिपोर्टिंग करनी चाहिए

घटनास्थल और आंकड़े

  • कुल समितियां: 39
  • ऋण लौटाने वाले: 441
  • बकाया राशि: ₹2 करोड़+
  • वसूली दर 2024-25: 83%
  • 2023-24 में बकाया: ₹22 करोड़

निष्कर्ष:

Uttarakhand News

Uttarakhand News की यह रिपोर्ट इस बात का उदाहरण है कि किस तरह स्थानीय वित्तीय सिस्टम में पारदर्शिता और ज़वाबदेही की आवश्यकता है। किसानों को सहायता देने के साथ-साथ उन्हें लोन का सही उपयोग और समय पर भुगतान के लिए जागरूक करना भी ज़रूरी है।

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